देहरादून: उत्तराखंड में बेरोजगारी दर देश के 11 राज्यों से अधिक हो गई है। वर्ष 2001 में प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या तीन लाख 13 हजार थी, जो अब बढ़कर आठ लाख 39 हजार 697 हो गई है। सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआइई) की ओर से एक मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत है। जो असम 1.2, छत्तीसगढ़ 0.6, गुजरात 1.6, हिमाचल प्रदेश 0.2, कर्नाटक 2.7, मध्य प्रदेश 1.6, महारष्ट्र 3.1, मेघालय 2.2, उड़ीसा 1.5, तमिलनाडु 3.2, उत्तर प्रदेश 2.9 प्रतिशत बेराजगारी दर से अधिक है। जबकि आंध्र प्रदेश की बेरोजगारी दर उत्तराखंड के बराबर है। वहीं, देश की वर्तमान बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत है।
उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटी भाजपा सरकार के सामने भी बेरोजगारी की समस्या से निपटना बड़ी चुनौती है, हालांकि चुनाव से पहले करीब 24 हजार पदों पर भर्ती की विज्ञप्ति जारी की गई थी। कई विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति भी जारी हुई हैं।
इधर, सेवायोजन निदेशक बीएस चलाल का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में रोजगार मेलों में 18 हजार 160 युवाओं को रोजगार मिला है। इस तरह के मेलों का आयोजन आगे भी किया जाएगा।
छह माह में इतने राज्यों से अधिक थी बेरोजगारी दर
आंकड़ों के मुताबिक मार्च में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर पांच, फरवरी में नौ, जनवरी में पांच, दिसबंर में नौ, अक्टूबर में छह और सितंबर में आठ राज्यों से अधिक थी। वहीं, उत्तराखंड की बेरोजगारी दर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से दोगुना तो हिमाचल प्रदेश से 26 गुना अधिक है।
छह साल में प्रदेश की बेरोजगारी दर चार गुना बढ़ी
पिछले छह वर्षों में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर में करीब चार गुना से अधिक वृद्धि हो गई है। अप्रैल 2016 में बेरोजगारी दर 1.3 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 5.2 प्रतिशत हो गई है। जबकि पिछले वर्ष प्रदेश की बेरोजगारी दर पांच और मई 2020 में केवल दो राज्यों से अधिक थी।
जिलेवार बेरोजगारों की संख्या
जिला बेरोजगारों की संख्या
अल्मोड़ा 69341
नैनीताल 75856
पिथौरागढ़ 51535
बागेश्वर 29910
चम्पावत 25894
देहरादून 102679
टिहरी 80486
उत्तरकाशी 55445
हरिद्वार 102241
पौड़ी 70388
चमोली 52890
रुद्रप्रयाग 35076
ऊधम सिंह नगर 87956
(नोट : आंकड़े सेवायोजन विभाग से लिए गए हैं)
पलायन का बड़ा कारण बन रही बेरोजगारी
प्रदेश में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। जिस वजह से लोगों को रोजगार के लिए महानगरों की दौड़ लगानी पड़ती है। बेरोजगारी के पीछे कोरोना महामारी के बीच कामकाज ठप होना भी एक कारण है। जिस वजह से प्रदेश में पिछले वर्ष लाकडाउन के दौरान करीब 53 हजार प्रवासी घर लौटे थे। इसके अलावा हर वर्ष बढ़ते बेरोजगारों की तुलना में रोजगार के अवसर कम होना भी बड़ा कारण है। यह पलायन का भी बड़ा कारण है।
सेवायोजन मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि सबसे पहले हमारी प्राथमिकता सरकारी नौकरी देना है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सभी मंत्रियों को निर्देश हैं कि अपने विभागों में युवाओं के लिए रोजगार व स्वरोजगार उपलब्ध कराएं।
इसके अलावा हमारी कोशिश है कि अलग-अलग सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं बढ़ाई जाए। इसके लिए प्लानिंग की जा रही है। छह-सात महीने में बेरोजगारी दर में काफी अंतर देखने को मिलेगा।