काबुल: तालिबान अफगानिस्तान का नाम बदलने के साथ ही अब पासपोर्ट और राष्ट्रीय पहचान पत्र भी बदलने जा रहा है। अब हर दस्तावेज पर देश का नाम ‘इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान’ लिखा जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इधर अफगानिस्तान में मानवीय सहायता जारी रखने के अमेरिकी फैसले पर तालिबान ने आभार जताया है।
तालिबान की अंतरिम सरकार के सूचना और संस्कृति विभाग के उपमंत्री और प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि अफगानिस्तान के पासपोर्ट और राष्ट्रीय पहचान पत्रों को बदला जाएगा। नए बनाए जाने वाले दस्तावेजों पर अब देश का नाम इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान जाएगा। पुराने दस्तावेज अभी कुछ समय तक वैध माने जाएंगे। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार में जो अन्य वैध दस्तावेज जारी किए गए थे, उनको इस सरकार में भी वैध माना जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल काहर बल्खी ने अमेरिका के मानवीय सहायता जारी रखने के फैसले का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त देश में पूरी तरह से उथल-पुथल की स्थिति है। तालिबान के नियंत्रण के बाद यहां की स्थिति बिगड़ी हुई है और मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में अमेरिका व कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों को अफगानिस्तान में मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सामान्य लाइसेंस जारी किए हैं।
अफगानिस्तान में समस्या की असली जड़ पाकिस्तान ही है
बता दें कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। तालिबान को मदद पहुंचाने से लेकर अफगानिस्तान की नई सरकार में हक्कनी नेटवर्क की वकालत करने तक पाकिस्तान पूरी तरह से सक्रिय रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में समस्या की असली जड़ पाकिस्तान ही है। यूरोपियन फाउंडेशन फार साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) के विशेषज्ञों के अनुसार, तालिबान के पक्ष में पाकिस्तान की दिलचस्पी दुनिया से छिपी नहीं है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में एक साक्षात्कार में तालिबान को वैश्विक मान्यता देने की अपील की थी। वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में तालिबान राज को मान्यता देने की वकालत कर चुके हैं।
न्यूज़ सोर्स –ANI