November 12, 2025 8:09 pm

देहरादून: डीएम के आदेशों के बाद भी शिकायतों पर नहीं हो रहा एक्शन, परेशान फरियादी, समस्याएं जस की तस

देहरादून: जिलाधिकारी कार्यालय में लगने वाले जनता दरबार में फरियादियों की शिकायतों पर आदेश तो हो जाते हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई नाम मात्र के लिए होती है. इसलिए जनता दरबार में आने वाले फरियादी कार्यालय के लगातार चक्कर काटते रहते हैं. ऐसे ही कई लोग जिलाधिकारी कार्यालय में लगे जनता दरबार में गुहार लगाने पहुंचे थे, जिन्हें बार-बार जिलाधिकारी के जनता दरबार में आना पड़ रहा है, लेकिन उनकी परेशानी जस की तस बनी हुई हैं.

सोमवार को लगे जनता दरबार में जिलाधिकारी के देहरादून कचहरी स्थित कार्यालय में 150 से ज्यादा लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचे. जिनकी परेशानियों का संज्ञान लेकर जिलाधिकारी ने तत्काल एक्शन लेते हुए संबंधित विभागों और थानों को अग्रिम कार्रवाई के आदेश जारी किये. यह कार्रवाई होगी या नहीं इसकी कोई जवाबदेही तय नहीं है. जिलाधिकारी का कहना है कि जनता दरबार में आने वाली शिकायतों का बाद में भी फॉलोअप लिया जाता है. जिसके लिए ऑनलाइन और मैनुअल प्रक्रिया की जाती है.

जिलाधिकारी सविन बंसल ने अपने कार्यालय में सोमवार को 180 शिकायतों को सुना. जिसमें ज्यादातर जमीनों और परिवार से जुड़े मामले शामिल थे. जिलाधिकारी ने जनता दरबार में मौजूद विभागों की प्रतिनिधियों को कई शिकायतों पर तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए, जबकि कई मामले ऐसे हैं जिनमें संबंधित विभागों को अग्रिम कार्रवाई के आदेश दे दिए गए, हालांकि संबंधित विभाग कब तक कार्रवाई करते हैं इसका जवाबदेही किसी के पास नहीं है.

सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में हुए जनता दरबार में पहुंचने वाले फरियादों में से एक देहरादून की सुनीता धारिया भी थीं. जिनके साथ एक व्यक्ति ने किसी प्रोजेक्ट के नाम पर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की थी. उन्हें थाने, चौकियों से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के पिछले दो महीने से चक्कर काटने पड़ रहे हैं. सुनीता धारिया का कहना है कि वह तीसरी बार जनता दरबार में जिलाधिकारी के यहां शिकायत लेकर पहुंची हैं. 27 अक्टूबर को उनकी शिकायत पर FIR लॉन्च कराई गई. जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

जनता दरबार में दूसरी फरियादी एक बुजुर्ग महिला भी थीं. यह बुजुर्ग अपनी राज्य आंदोलनकारी चिन्हिकरण की मांग को लेकर लगातार जनता दरबार के चक्कर काट रही हैं. हर बार उनको केवल आश्वासन दे दिया जाता है. बुजुर्ग महिला आस लेकर वापस लौट जाती हैं. फरियादी बुजुर्ग महिला नम आंखों से बताती हैं कि राज्य आंदोलन में वह और उनके पति दोनों हिस्सेदार थे. 1994 में उनके पति का निधन हो गया. आज तक उनका चिन्हिकरण नहीं हो पाया है. उनका कहना है उनकी उम्र पूरी हो चुकी है, लेकिन आज भी वो अपने बच्चों के लिए रोजाना जिलाधिकारी ऑफिस के चक्कर काट रही हैं.