देहरादून: उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे में औषधि निरीक्षक के पद लंबे समय से खाली चल रहे थे. आलम यह था कि तीन से चार ड्रग इंस्पेक्टर ही पूरे प्रदेश में ड्यूटी कर रहे थे. ऐसे में लंबे समय से गढ़वाल और कुमाऊं में ड्रग इंस्पेक्टर की तैनाती की मांग हो रही थी. जिसे देखते हुए आज प्रदेश को 18 नए औषधि निरीक्षक मिल गये हैं.
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि यह नियुक्तियां चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग तथा लोक सेवा आयोग, उत्तराखंड के माध्यम से की गई हैं. नव-नियुक्त अधिकारियों को दो वर्षों की अवधि पर तैनात किया गया है. सभी को तत्काल अपने तैनाती स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं. सचिव की तरफ से आये बयान में कहा गया है की सभी का काम प्रशासन को मजबूत करने और जनता तक गुणवत्तापूर्ण दवाओं की पहुंच सही समय पर हो इसकी जिम्मेदारी तय करेगी. इन नियुक्तियों से राज्य की फार्मास्यूटिकल सप्लाई चेन की मॉनिटरिंग मजबूत होगी. औषधि नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा.
देहरादून और हरिद्वार में बीते लम्बे समय से ये भी देखा जा रहा है की नकली दवाई लगातार पकड़ी जा रही है. ऐसे में विभाग के पास और अधिक अधिकारी होने से इन पर अंकुश लगाया जा सकेगा. सरकार का मुख्य उद्देश्य राज्य में गैर-कानूनी रूप से बिकने वाली और घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की रोकथाम करना है. उन्होंने कहा कि औषधि निरीक्षकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में औषधि विक्रेताओं और कंपनियों की नियमित जांच करें और किसी भी अनियमितता पर त्वरित कार्रवाई करें.
इनको मिली तैनाती
हार्दिक भट्ट (चमोली), गौरव कुकरेती (एफडीए मुख्यालय), अनुजा उप्पल (नैनीताल) से जबकि निधि शर्मा (उधमसिंह नगर), विनोद पंवार (देहरादून), शुभम कोटलाला (उधमसिंह नगर)तैनाती मिली है इसी तरह से हरिओम सिंह (हरिद्वार), पंकज पंत (पिथौरागढ़), पूजा रानी (बागेश्वर) निशा रावत (एफडीए मुख्यालय), अमित कुमार आजाद (रुद्रप्रयाग), रिशभ धामा (टिहरी) निधि रतूड़ी (देहरादून), पूजा जोशी (अल्मोड़ा), हरिता (चम्पावत), मो. ताजिन (उत्तरकाशी)सीमा बिष्ट चौहान (पौड़ी), नेहा (हरिद्वार).
अपग्रेड होगा ड्रग विभाग
राजेश कुमार ने बताया औषधि निरीक्षकों को आधुनिक तकनीकों और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा. जिससे बाजार में मिलने वाली सभी दवाओं की गुणवत्ता पर बारीकी से नजर रखी जा सकेगी. सरकार अवैध रूप से बिकने वाली एंटीबायोटिक्स, पेन किलर्स और अन्य नियंत्रित दवाओं की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.