देहरादून: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) मिलकर आने वाली 24 अप्रैल को चारधाम यात्रा के तहत मॉक ड्रिल करने जा रही है. जिसको लेकर बुधवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अधिकारियों ने मॉक ड्रिल के सफल संचालन को लेकर उत्तराखंड के सभी अधिकारियों की बैठक ली.
बुधवार को आयोजित ओरिएंटेशन और कोऑर्डिनेशन कॉन्फ्रेंस में चारधाम यात्रा से जुड़े सभी जिलों के अधिकारियों के अलावा संबंधित विभाग के अधिकारी शामिल हुए. वहीं इस बैठक में वर्चुअल तौर पर एनडीएमए के सीनियर कंसल्टेंट मेजर जनरल सुधीर बहल ने मॉक ड्रिल के आयोजन और संचालन को लेकर विस्तार से सभी को जानकारी दी. मेजर जनरल बहल ने कहा कि आपदा प्रबंधन किसी एक व्यक्ति या विभाग का कार्य नहीं है. बल्कि इसमें सामूहिक सहभागिता जरूरी है.
उन्होंने बताया कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर आपदाओं का सामना करने के लिए उनकी क्षमताओं और तैयारी को परखना है. साथ ही उनमें वृद्धि करना है. उन्होंने बताया कि यह मॉक ड्रिल आईआरएस यानी घटना प्रतिक्रिया प्रणाली के तहत संचालित की जाएगी. आईआरएस एक ऐसी प्रणाली है, जिसे अपनाकर प्रभावी तरीके से आपदाओं का सामना किया जा सकता है. आईआरएस में सभी अधिकारियों और विभागों के कर्तव्य एवं दायित्वों का स्पष्ट निर्धारण किया गया है. एनडीएमए के अधिकारियों ने बताया कि मॉक ड्रिल में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस, अग्निशमन विभाग और अन्य फोर्स के अधिकारी ऑब्जर्वर की भूमिका निभाएंगे. इस मॉक ड्रिल का संचालन यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से किया जाएगा.
चारधाम यात्रा के लिए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह तैयार
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने इस बैठक के बाद जानकारी देते हुए कहा कि चारधाम यात्रा हमारे प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण आयोजन है. मुख्यमंत्री धामी के मार्गदर्शन और दिशा-निर्देशन पर सभी विभागों ने अच्छी तैयारियां की हैं. आपदा प्रबंधन विभाग भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. 24 अप्रैल को यूएसडीएमए और एनडीएमए द्वारा मॉक ड्रिल के माध्यम से आपदाओं का सामना करने में विभागीय तैयारियों का परीक्षण किया जाएगा. जहां कुछ बेहतर करने की गुंजाइश होगी. उस दिशा में कार्य किया जाएगा. जहां कुछ कमियां मिलेंगी. उन्हें दुरुस्त किया जाएगा.
इन आपदाओं की घटनाओं पर होगी मॉक ड्रिल
सुरक्षित चारधाम यात्रा के लिए शासन-प्रशासन की तैयारियां कैसी हैं? इन्हें विभिन्न आपदाओं के परिदृश्यों की मॉक ड्रिल के जरिए परखा जाएगा. रोड एक्सीडेंट, हेलीकॉप्टर दुर्घटना, भूकंप, होटल/धर्मशालाओं में अग्निकांड, धाम और संकरे मार्ग में भगदड़, खराब मौसम, बाढ़, आकाशीय बिजली, भूस्खलन, हिमस्खलन आदि परिदृश्य बनाकर विभिन्न रेखीय विभागों की तैयारियों को परखा जाएगा. आपदा की स्थिति में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों जैसे एयरफोर्स, आर्मी, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, पैरामिलिट्री फोर्स के साथ स्थानीय प्रशासन द्वारा किस प्रकार समन्वय किया जाता है तथा उनके संसाधनों को किस प्रकार प्राप्त किया जाता है, इसका भी परीक्षण किया जाएगा.
आपदाओं का सामना करने में आईआरएस असरदार
इस मॉक ड्रिल के दौरान आईआरएस की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि इसके तहत किसी भी घटना का समय पर मूल्यांकन और सूचनाओं का आदान-प्रदान त्वरित गति से किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त मानव और अन्य संसाधनों को सुव्यवस्थित तरीके से घटनास्थल के लिए रवाना किया जाना संभव है. इसमें दायित्व और जिम्मेदारियों का स्पष्ट निर्धारण किया गया है. इसके साथ ही जो भी शासन-प्रशासन, राहत और बचाव दलों, अन्य हितधारकों की क्षमताएं हैं, उनका भरपूर उपयोग किया जाना संभव है. बता दें कि आईआरएस प्रणाली के तहत राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, जनपद स्तर पर जिला अधिकारी और ब्लॉक स्तर पर बीडीओ के रूप में नामित हैं.