देहरादून: नगर निगम की ओर से लगाए जा रहे लाइसेंस शुल्क के निर्णय को वापस लेने की मांग को लेकर व्यापारी मुखर हो गए हैं. जिसके तहत आज व्यापार मंडल के सैकड़ों व्यापारी विरोध जताने नगर निगम पहुंचे और मेयर सौरभ थपरियाल एवं नगर आयुक्त नमामि बंसल के सामने अपनी बात रखी. इस दौरान व्यापारियों की नाराजगी भी देखने को मिली.
मेयर से मुलाकात के बाद व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि आज की बैठक में मेयर ने कोई निर्णय नहीं लिया और सभी व्यापारियों को आश्वासन की जगह फुलझड़ी पकड़ा दी है. वहीं, व्यापारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो व्यापारियों के हित की बात करेगा, वो उत्तराखंड में राज करेगा.
बता दें कि देहरादून नगर निगम ने पंजीकरण शुल्क के लिए 15 दिन का समय दिया है. इसमें व्यापारी वर्ग अपनी आपत्ति दे सकते हैं और 31 मई की शाम तक नगर निगम में जमा कर सकते हैं. ऐसे में तमाम व्यापारी लाइसेंस शुल्क के निर्णय को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. इसी को लेकर आज बैठक तो हुई, लेकिन बेनतीजा रही.
दरअसल, देहरादून नगर निगम की ओर से ‘उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959’ (यथा प्रवृत्त उत्तराखंड) की धारा 541 के अंतर्गत नगर निगम क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक लाइसेंस/पंजीकरण की स्वीकृति के अनुसार ही लागू करने का निर्णय लिया गया है. जिसके लिए उपविधि (Bye-laws) जारी किया गया है.
बीती 17 मई को जारी उपविधि को उसी दिन से लागू माना गया है, जिसके तहत इससे पहले जारी लाइसेंस/पंजीकरण को खुद समाप्त माना जाएगा. हालांकि, यह अनंतिम उपविधि है. आपत्तियों के निस्तारण के बाद अंतिम उपविधि (बायलॉज) जारी की जाएगी. जिसको लेकर व्यापारी खासे नाराज हैं.
देहरादून नगर निगम की सीमा के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति व्यवसाय करने का पात्र तभी होगा, जब वो निगम कार्यालय में निर्धारित शुल्क का भुगतान कर लाइसेंस लेगा. हालांकि, इसमें एक अहम बिंदु ये रखा गया है कि यदि राज्य सरकार उपविधि (बायलॉज) के किसी भी प्रावधान से असंतुष्ट है तो सरकार उसे परिष्कृत कर छूट दे सकती है.
लाइसेंस के लिए निर्धारित पंजीकरण और नवीनीकरण शुल्क-
ट्रेड या व्यापार का नाम | पंजीकरण शुल्क | नवीनीकरण शुल्क |
वेडिंग प्वाइंट/बैंक्विट हॉल/होटल/लॉज | 20 हजार से दो लाख रुपए | 10 हजार से 50 हजार रुपए |
हॉस्पिटल/नर्सिंग संबंधी ट्रेड | 25 हजार से एक लाख रुपए | 10 हजार से 50 हजार रुपए |
प्राइवेट क्लीनिक/पैथ लैब/मेडिकल शॉप | 15 हजार से 50 हजार रुपए | 8 से 30 हजार रुपए |
पशु शॉप/पशु क्लिनिक/पशु अस्पताल | 10 हजार से 15 हजार रुपए | 5 हजार से 8 हजार रुपए |
हुक्का बार | 10 हजार रुपए | 5 हजार रुपए |
बियर बार | 30 हजार रुपए | 15 हजार रुपए |
अंग्रेजी शराब की दुकान | 50 हजार रुपए | 30 हजार रुपए |
देसी शराब की दुकान | 30 हजार रुपए | 15 हजार रुपए |
इंपोर्टेड वाइन शॉप/डिपार्टमेंटल स्टोर | एक लाख रुपए | 50 हजार रुपए |
शॉपिंग मॉल | वार्षिक भवन कर का 0.5 प्रतिशत | 50 हजार रुपए |
“नगर निगम के प्रस्तावित दरों पर विचार विमर्श को लेकर आज सभी व्यापारी वर्ग आए हुए थे. निगम की ओर से आश्वासन दिया गया है कि किसी भी व्यापारी पर उत्पीड़न का काम नहीं किया जाएगा. यह उनकी रजामंदी से ही किया जाएगा. आगामी 31 मई तक सभी व्यापारी वर्ग को समय दिया गया है और उसके बाद ही इसमें कुछ निर्णय लिया जाएगा, लेकिन उससे पहले व्यापारियों के साथ बैठकों का दौर जारी है. लाइसेंस शुल्क में जितना जायज होगा, वो ही वसूला जाएगा.” – सौरभ थपलियाल, मेयर, देहरादून नगर निगम
वहीं, सर्राफा व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुनील मैसोन ने बताया कि ‘बैठक के बाद आश्वासन दिया है कि विचार करके बता दिया जाएगा, जिससे सभी व्यापारी समाज नाराज है. आज सभी व्यापारी समाज इस आशा से आया था कि तत्कालीन मेयर ने बैठक में लाइसेंस फीस निरस्त कर दी थी. ऐसा ही आज मेयर करते तो पूरा व्यापारी समाज इनकी वाहवाही करता, लेकिन आज व्यापारियों को आश्वासन के नाम की फुलझड़ी मिली है, जो लेकर हम जा रहे है.‘
“कोई भी व्यापार समाज को कमजोर समझने की कोशिश न करे. हमें जल्द निगम सूचना दें कि हमें बीजेपी के साथ जाना है या फिर बीजेपी के विरोध में जाना है. हमें चुनाव के दौरान कहा गया था कि जब तक बीजेपी का मेयर रहेगा, तब तक व्यापारियों पर लाइसेंस शुल्क नहीं लगाया जाएगा. ऐसा आश्वासन मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया था. जो व्यापारियों के हित की बात करेगा, वो उत्तराखंड में राज करेगा. वहीं, सरकार को चेतावनी दी गई है कि अगर नगर निगम से नेगेटिव जवाब मिलता है तो सरकार भी व्यापारियों से नेगेटिव की उम्मीद रखें.” – सुनील मैसोन, अध्यक्ष, सर्राफा व्यापार मंडल