देहरादून: उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के लगभग सभी राज्यों में बाल भिक्षावृत्ति एक गंभीर समस्या बनी हुई है, क्योंकि इससे ना सिर्फ बच्चों का जीवन बर्बाद होता है, बल्कि यह एक बड़ा व्यापार बनता जा रहा है. जिस पर लगाम लगाए जाने को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से समय-समय पर पहल की जाती रही है. इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और राज्य सरकारों को स्ट्रेट चिल्ड्रन पॉलिसी को लागू करने के लिए कहा था. उत्तराखंड में पॉलिसी तैयार करने के साथ ही मंत्रिमंडल की मंजूरी भी मिल चुकी है. 2 जून को राज्य सरकार ने पॉलिसी की अधिसूचना भी जारी कर दी है.
उत्तराखंड सरकार की ओर से स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी 2025 की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद ही ये नीति उत्तराखंड में लागू हो गई है. इस नीति में तमाम प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत सड़क किनारे रहने वाले बच्चे या फिर सड़कों के किनारे भीख मांगने वाले बच्चों को एक बेहतर जिंदगी मुहैया कराना है. हालांकि, इस नीति के लागू न होने से पहले जिला स्तर पर बच्चों के पुनर्वास और उन्हें भीख मांगने की दलदल से बाहर निकालने की पहल समय-समय पर होती रही है. लेकिन पहली बार राज्य स्तर पर स्ट्रेट चिल्ड्रन पॉलिसी 2025 लागू की गई है. ऐसे में इस पॉलिसी के तहत बच्चों के लिए तमाम योजनाओं का संचालन भी किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश दिए थे कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग एक मॉडल ड्राफ्ट बनाए. जिस ड्राफ्ट के आधार पर सभी राज्य अपने राज्यों में स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी बनाए. ऐसे में स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी तैयार करने के साथ ही 16 मई को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पॉलिसी को मंजूरी मिल गई थी. ऐसे 2 जून 2025 को राज्य सरकार ने स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी की अधिसूचना भी जारी कर दी है. स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी के जरिए छत विहीन बच्चों के कल्याण के लिए सरकार इस पॉलिसी के तहत योजना बनाएगी. बच्चों को समाज के मुख्य धारा में लाने के लिए जो प्रयास किए जाने चाहिए वो किए जाएंगे.
चंद्रेश यादव, सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग
स्ट्रेट चिल्ड्रन पॉलिसी में प्रदेश के गरीब बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने संबंधित प्रावधान किए गए हैं. ऐसे में अगर यह नीति बेहतर ढंग से धरातल पर उतरती है तो आने वाले समय में सड़कों के किनारे रहने वाले बच्चों के साथ ही भीख मांगने वाला एक भी बच्चा सड़कों पर दिखाई नहीं देंगे. इस पॉलिसी में सरकारी विभागों के साथ ही समाज के सभी हितधारकों की भी जिम्मेदारी तय की गई है. जिसके तहत कोई भी दुकानदार या कारोबारी उनके दुकान के आसपास भीख मांगने वाले बच्चों की सूचना देगा. डीएम को राष्ट्रीय अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से तैयार पॉलिसी के अनुसार बच्चों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए काम करना होगा.
इस पॉलिसी को किशोर न्याय बोर्ड से भी कवर किया जाएगा. साथ ही इन बच्चों को बाल सुधार गृह में रखने के साथ ही शिक्षा के जोड़ा जाएगा, ताकि बच्चों के भविष्य को उज्जवल किया जा सके. साथ ही बताया कि अभी शुरुआती दौर में जिलों में अलग अलग स्तर पर काम हो रहा था. लेकिन पहली बार राज्य स्तर पर इस तरह की पॉलिसी लागू किया गया है.
चंद्रेश यादव, सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग
स्टेट चिल्ड्रन पॉलिसी में किए गए प्रावधानों के अनुसार, बेघर या फिर सड़क किनारे रहने वाले बच्चों का तत्काल रेस्क्यू किया जाएगा और उस बच्चों के रिस्क की सूचना बाल स्वराज-चिल्ड्रेन इन स्ट्रीट सिच्युएशन (सीआईएसएस) पोर्टल पर अपडेट करनी होगी. इसके बाद बच्चों के लिए कपड़े और भोजन की व्यवस्था करने के साथ ही बच्चों की स्वास्थ्य जांच और चिकित्सा उपचार भी करना होगा. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए शिक्षा की व्यवस्था करने समेत तमाम प्रावधान किए गए हैं. यही नहीं, इस पॉलिसी में तमाम नियम और कायदे भी बताए गए हैं, ताकि बच्चों को कैसे मुख्यधारा में शामिल किया जा सके.