देहरादून : हरिद्वार जमीन घोटाले में जिन दो आईएएस अधिकारियों पर गाज गिरी है, उनका कोई बड़ा सर्विस रिकॉर्ड नहीं है. दोनों ही अधिकारी हाल ही में पब्लिक या यह कहें फील्ड पोस्टिंग पर तैनात किए गए थे. ऐसे में सरकार की कार्रवाई किए जाने के बाद इन अधिकारियों की साख पर दाग जरूर लगा है. दोनों आईएएस अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड पर एक नजर:
पहली पोस्टिंग में ही लग गया दाग
हरिद्वार जिले के जिला अधिकारी पद पर तैनात कर्मेंद्र सिंह वैसे तो व्यवहार कुशल और बेहद शांत स्वभाव के अधिकारी माने जाते हैं. हालांकि, इस पूरे घोटाले के सामने आने के बाद आईएएस कर्मेंद्र सिंह का यही कहना था कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं थी.
आईएएस कर्मेंद्र सिंह हरिद्वार में पहली बार किसी फील्ड पोस्टिंग पर तैनात हुए थे. साल 2011 बैच के आईएएस अधिकारी इससे पहले लोक सेवा आयोग में सचिव रहे हैं. उससे पहले साल 2022 में अपर सचिव कार्मिक के पद पर तैनात रहे हैं. यह उनकी तीसरी पोस्टिंग थी. वह साल 2020 में उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड आए थे. कर्मेंद्र सिंह मूल रूप से यूपी के गोरखपुर से ताल्लुक रखते हैं.
आईएएस वरुण चौधरी की प्रोफाइल
इसी तरह से आईएएस वरुण चौधरी भी ज्यादा लंबी फील्ड पोस्टिंग पर नहीं रहे हैं. हरिद्वार में नगर आयुक्त पद के बाद वह मौजूदा समय में शासन में स्वास्थ्य में सचिव पद पर तैनात हैं, जबकि साल 2023 में सिटी मजिस्ट्रेट हरिद्वार और उसके बाद ऋषिकेश में एसडीएम पद पर तैनात थे. ऐसे में सीधे तौर पर यह देखा गया कि जब वह हरिद्वार में नगर आयुक्त थे, तभी इस जमीन को खरीदा गया. आईएएस वरुण दिल्ली के रहने वाले हैं. ईटीवी भारत ने वरुण चौधरी से बात की. आईएएस वरुण चौधरी ने कहा कि मुझे सस्पेंड होने के बारे में पता नहीं है. जांच अभी जारी है. मैं अपनी बात सही प्लेटफॉर्म पर रखूंगा.
इसी तरह से पीसीएस अधिकारी अजय वीर साल 2017 बैच के अधिकारी हैं. अजयवीर एसडीएम श्रीनगर और एसडीएम कीर्तिनगर रह चुके हैं. मौजूदा समय में वो हरिद्वार के भगवानपुर में तैनात हैं, जबकि इससे पहले जब ये जमीन घोटाला हुआ वो हरिद्वार एसडीएम पद पर तैनात थे.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, साल 2024 में हरिद्वार नगर निगम ने ग्राम सराय में 54 करोड़ रुपए में 2.3070 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. ये जमीन नगर निकाय चुनाव के दौरान खरीदी गई थी. उस वक्त हरिद्वार नगर निगम की पूरी जिम्मेदारी यानी पूरा सिस्टम तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के हाथों में था. आरोप है कि नगर निगम ने जो जमीन खरीदी थी, उसकी कीमत लाख रुपए में बीघा में थी, लेकिन उसे 54 करोड़ में खरीदा गया. साथ ही आज तक ये भी स्पष्ट नहीं हो पाया कि ये जमीन किसी उद्देश्य के लिए खरीदी गई थी. मामला सामने आने के बाद शासन ने सचिव रणवीर सिंह चौहान को जांच की जिम्मेदारी दी.
सचिव रणवीर सिंह चौहान की जांच में जमीन खरीद में घोटाले की बात सामने आई. इसके बाद शासन को रिपोर्ट भेजी गई. सचिव रणवीर सिंह चौहान की रिपोर्ट पर आज तीन मई को सरकार ने हरिद्वार जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन हरिद्वार नगर आयुक्त आईएएस वरुण चौधरी और पीसीएस अजय वीर के समेत कुल 12 अधिकारियों पर एक्शन लिया.