हरिद्वार: नगर निगम की भूमि खरीद घोटाले में आज 3 जून को 2 आईएएस समेत 7 अफसर सस्पेंड कर दिए गए हैं. इनमें हरिद्वार के डीएम कर्मेंद्र सिंह और तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी भी शामिल हैं. इस मामले में अब तक 12 अफसरों पर कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन उत्तराखंड कांग्रेस, धामी सरकार के इस एक्शन से संतुष्ट नहीं है.
हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले पर कार्रवाई से कांग्रेस संतुष्ट नहीं: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस मामले में अन्य उच्च अधिकारी और सफेद कॉलर नेताओं के शामिल होने की बात कहते हुए उन पर भी कार्रवाई करने की मांग की है. करन माहरा ने सरकार की इस कार्रवाई को कांग्रेस के दबाव में की गई कार्रवाई बताते हुए इसे केवल दिखावा कहा है. उन्होंने कहा कि सस्पेंड किये गए अधिकारी को कार्मिक ओर सतर्कता विभाग में अटैच करना कई सवाल खड़ा करता है.
मेरे धरने के डर से हुई कार्रवाई
आपको बता दें कि आज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा हरिद्वार दौरे पर थे. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए हरिद्वार के नगर निगम भूमि खरीद घोटाले पर निलंबित किए गए दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि-
मैं उन सभी अधिकारियों को यह चेतावनी के साथ बताना चाहूंगा, कि यह सब उन्हीं अधिकारियों के लिए नसीहत है, जो बड़े नेताओं और बड़े अफसर के चक्कर में ऐसे कार्य करते हैं. उसके बाद ऐसे अवसरों पर ही कार्रवाई होती है और वह नेता और वह बड़े अफसर मौज में रहते हैं. कांग्रेस ने जब इस मुद्दे को उठाया तो उसके बाद सरकार ने इन अधिकारियों पर कार्रवाई की. आज जब इन्हें पता था कि मैं हरिद्वार में आकर धरने पर बैठ रहा हूं, इसलिए आज ही इनके खिलाफ कार्रवाई की गई. आखिर क्यों सरकार द्वारा इसको स्वत संज्ञान नहीं लिया गया और उसके बाद भी दिखावे के लिए यह कार्रवाई की गई है.
–करन माहरा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष-
माहरा बोले- असली दोषियों पर नहीं हुई कार्रवाई
इसी के साथ करन माहरा ने कहा कि अब तक उन लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई है, जो वास्तविकता में इसके दोषी हैं. जिनके कहने पर यह पूरा खेल रचाया गया और वह अभी भी छिपे बैठे हैं. जब तक उन पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक कांग्रेस रुकने वाली नहीं है और वह इसी तरह मुद्दे उठाती रहेगी.
हरीश रावत ने भूमि खरीद घोटाले को महापाप बताया
उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ हरीश रावत ने हरिद्वार के जमीन खरीद घोटाले को ज्वलंत महापाप बताया. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर लिखा कि-
हरिद्वार #भूमि_घोटाला, इस सरकार का ज्वलंत महापाप है। जन दबाव में आपने जिलाधिकारी आदि को सस्पेंड किया, अच्छी बात है। मगर मैंने अपने पहले ही ट्वीट में लगभग 15 दिन पहले यह स्पष्ट कर दिया था कि इतना बड़ा भूमि घोटाला और जिले के केंद्र बिंदु पर जिला मुख्यालय में बिना #राजनीतिक_संरक्षण के नहीं हो सकता है! इस घोटाले का राजनीतिक संरक्षक कौन, यह यक्ष प्रश्न है? जिसके समाधान के बिना इस घोटाले को भुलाया नहीं जा सकता है।
–हरीश रावत, पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता-
जानें क्या है हरिद्वार भूमि खरीद घोटाला
आपको बता दें कि ये पूरा मामला साल 2024 का है. साल 2024 में निकाय चुनाव के दौरान हरिद्वार नगर निगम का पूरा सिस्टम नगर आयुक्त के पास था. उस वक्त हरिद्वार नगर आयुक्त की जिम्मेदारी आईएएस वरुण चौधरी के पास थी. नगर निकाय चुनाव के कारण हरिद्वार जिले में आचार संहिता लगी हुई थी. तभी हरिद्वार नगर निगम ने 33 बीघा जमीन खरीदी थी. ये जमीन किस उद्देश्य से खरीदी गई थी, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.
कूड़ा डंपिंग जोन को कृषि भूमि में दर्ज कर 58 करोड़ में खरीदा
जांच में अभी तक जो सामने आया है, उसके मुताबिक जो जमीन खरीदी गई है, उसके आसपास के इलाके में हरिद्वार नगर निगम का कूड़ा डंप किया जाता रहा है. इसीलिए वहां पर जमीन की कीमत कुछ ज्यादा नहीं थी, लेकिन नगर निगम और प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने कृषि भूमि को 143 में दर्ज करवाकर सरकारी बजट से 58 करोड़ रुपए में खरीदा.
बीजेपी की मेयर आने पर हुआ भंडाफोड़
हरिद्वार नगर निगम में बीजेपी की मेयर प्रत्याशी जीतीं. इसके बाद ये मामला भी सामने आया. धीरे-धीरे ये मामला राजनीतिक मुद्दा बन गया और मामला सीएम दफ्तर तक पहुंच गया. इसके बाद सीएम धामी ने जांच के आदेश दिए और सचिव रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंपी गई. सचिव रणवीर सिंह चौहान की जांच रिपोर्ट के बाद ही ये कार्रवाई हुई.