देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है. हरीश रावत का कहना है कि अगर सरकार के पास देशद्रोही गतिविधियों में संलिप्त होने के प्रमाण वांगचुक के खिलाफ थे तो उन्हें लेह मे हुई हिंसा से पहले गिरफ्तार कर लेना चाहिए था, लेकिन सरकार ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले वांगचुक को गिरफ्तार करके लोकतंत्र की हत्या की है.
हरीश रावत ने कहा सोनम एक आदर्श व्यक्ति रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन काल मे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ,लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिये जाने, उसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग प्रमुखता से उठाई. उन्होंने इन मांगों को लेकर निरंतर जन जागरण अभियान चलाया. हरीश रावत ने केहा सोनम वांगचुक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त व्यक्ति रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा सोनम वांगचुक ने अगर स्थानीय आवाज को उठाते हुए लद्दाख को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई तो उन्हें देशद्रोही बताकर जेल में डाल दिया गया. यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है. हरीश रावत ने कहा अगर उनके खिलाफ कोई देशद्रोही होने का मामला केंद्र सरकार के संज्ञान में था, तो उन्हें लेह में हुई हिंसा से पहले गिरफ्तार किया जाना चाहिए था.
वहां हुई आगजनी और गोलीकांड के बाद ही केंद्र सरकार को कैसे पता चला कि वह इस तरह का कृत्य कर रहे थे, जबकि उनकी गिरफ्तारी हिंसा और आगजनी से पहले की जानी चाहिए थी. इसका तात्पर्य यह है कि जो इस सरकार के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसकी जगह जेल में होगी. हरीश रावत ने कहा आज देश का लोकतंत्र खतरे में है. इस लोकतंत्र को बचाना हर देशवासी का कर्तव्य है.
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की है.
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