देहरादून : पूरे देश में जहां एक तरफ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर लाए गए वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 की चर्चाएं हो रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता अब बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस नेता काजी निजामुद्दीन ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से बीजेपी वक्फ संपत्तियों की चिंता कर रही है, क्या उस तरह से तमाम हिंदुओं के प्रतिष्ठित संस्थानों की खुर्द-बुर्द हो रही जमीनों की भी चिंता कर रही है या नहीं?
दरअसल, मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने एक बयान जारी किया है. उन्होंने बदरी केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की संपत्ति को लेकर सवाल उठाए हैं. साथ ही उसके जरिए सरकार को घेरा है. हालांकि, समिति के सीईओ विजय थपलियाल ने इन सवालों के जवाब दिए हैं.
बीकेटीसी संपत्ति पर प्रतिक्रिया. (ETV Bharat)
बदरी केदार मंदिर समिति की देहरादून में 50 बीघा की अरबों की जमीन मौजूद है. इसके अलावा रामनगर में, लखनऊ के चारबाग, अमीनाबाद से लेकर नेपाल तक बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियां फैली पड़ी हैं. जब बीजेपी सरकार वक्फ संपत्तियों की इतनी चिंता जाहिर कर रही है तो उन्हें उम्मीद है कि बदरी केदार मंदिर समिति की इन संपत्तियों पर भी सरकार को चिंता होगी.
– काजी निजामुद्दीन, कांग्रेस विधायक, मंगलौर –
डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी अपने अधीन नहीं ला सकी बीकेटीसी जमीन: कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने आरोप लगाया कि बदरी-केदार मंदिर समिति की लाखों करोड़ों की जमीन पर कब्जा है, लेकिन डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी इन जमीनों को बदरी-केदार मंदिर समिति अपने अधीन लाने में समर्थ नहीं हुआ है. अब तक बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों के मामले में बीजेपी ने एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है.
मंगलौर से कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने सवाल उठाते हुए आगे कहा कि-
बदरी केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की जमीनों पर हुए अवैध कब्जे पर बुलडोजर क्यों नहीं चलता है? यदि मामला न्यायालय में है तो क्यों इन मामलों की पैरवी ठीक तरीके से की जा रही है? ये पूरे देश और दुनिया के लिए बेहद सुखद अनुभव होगा, यदि बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों को बीजेपी अतिक्रमण मुक्त करने में कामयाब रहेगी.
– काजी निजामुद्दीन, कांग्रेस विधायक, मंगलौर –
जाने कहां और कितनी हैं बीकेटीसी की जमीनें: बदरी-केदार मंदिर समिति से मिली जानकारी से अनुसार,
- बदरीनाथ में बदरी केदार मंदिर समिति के नाम 217 नाली और 3 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- बदरीनाथ के माणा गांव में मंदिर समिति के नाम 133 नाली भू संपत्ति और 8 मुट्ठी जमीन है.
- चमोली के मौजा बामणी राजस्व ग्राम में मंदिर समिति के नाम 239 नाली और 8 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के ज्योतिर्मठ में मंदिर समिति के नाम 169 नाली जमीन दर्ज है.
- चमोली के पांडुकेश्वर में मंदिर समिति के नाम 6 नाली और 4 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के अणिमठ में 43 नाली जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- चमोली के टंगणी में 4 नाली और 12 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के नीरख में 1 नाली और 14 मुट्ठी, पीपलकोटी में 1 नाली और 12 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली में 2 नाली में विश्रामगृह और काली मंदिर के नाम 2 नाली और 3 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के गोपेश्वर में 4 नाली और 8 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के मंडल में 30 नाली और 2 मुट्ठी संस्कृत महाविद्यालय और दाननामा में 13 नाली और 5 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के नंदप्रयाग में 11 नाली और 4 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- चमोली के कर्णप्रयाग में 5 नाली जमीन दर्ज है.
- चमोली के कुलसारी में 5 नाली जमीन दर्ज है.
रुद्रप्रयाग जिले में बीकेटीसी की संपत्तियां-
- रुद्रप्रयाग में 2 नाली और 2 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- रुद्रप्रयाग के सेरा भरदार में 20 नाली जमीन दर्ज है.
- केदारनाथ धाम क्षेत्र में 41 नाली जमीन केदारनाथ के नाम दर्ज है.
- उखीमठ क्षेत्र में 38 नाली और 1 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- उखीमठ के डगवाड़ी में 18 नाली और 4 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- उखीमठ के डगवाड़ी, जयबीर में 15 नाली जमीन दर्ज है.
- गुप्तकाशी में 22 नाली जमीन दर्ज है. इसके अलावा उत्तराखंड विद्यापीठ भी बना है.
- मक्कूमठ में 17 नाली और 5 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- उखीमठ के करोखी में 11 नाली और 6 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- रुद्रप्रयाग के त्यूडी-मौजा में 20 नाली और 14 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- रुद्रप्रयाग के सेमी में 2 नाली और 9 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- रुद्रप्रयाग के गडगू में कृषि योग्य भूमि है.
रुद्रप्रयाग जिले में ये भी हैं बीकेटीसी की संपत्तियां-
- रुद्रप्रयाग के कालीमठ में 9 नाली और 11 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- गौरीकुंड में 2013 की आपदा में संपत्ति ध्वस्त हुई.
- त्रियुगीनारायण में 7 नाली और 7 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- तुंगनाथ में 10 नाली और 12 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- तुंगनाथ मंदिर, मक्कूमठ में 10 नाली और 2 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- अगस्त्यमुनि में 9 नाली और 9 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- मदमहेश्वर में मुख्य मंदिर, धर्मशाला और देवस्थल मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- कालीशिला में मंदिर और धर्मशाला बना है.
- रुद्रप्रयाग के संसारी में 28 नाली कृषि योग्य भूमि है.
पौड़ी-टिहरी और देहरादून जिले में भी बीकेटीसी के नाम हैं कई संपत्तियां-
- श्रीनगर गढ़वाल में 5 नाली जमीन दर्ज है.
- पौड़ी के कलियासौड़ में 14 नाली जमीन दर्ज है.
- पौड़ी के सिविल लाइन में 3 नाली 15 मुट्ठी जमीन दर्ज है. इसके अलावा कोटद्वार रोड लक्ष्मीनारायण में 2 नाली 14 मुट्ठी जमीन दर्ज है. पैठानी में मंदिर है.
- टिहरी के देवप्रयाग में 2 नाली जमीन दर्ज है.
- ऋषिकेश के चंद्रभागा में जमीन पर यात्री विश्रामगृह और कर्मचारी आवास बना है.
- टिहरी के बौराड़ी में 10 नाली और 2 मुट्ठी, घनसाली में 040 हेक्टेयर और सैंणू में 6 नाली जमीन दर्ज है.
- देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ला में 12 मुट्ठी, कारगी चौक में 1 बीघा, कैनाल रोड में 50×50 वर्ग फीट जमीन है. इसके अलावा डोभालवाला क्षेत्र में 3 एकड़ जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
कुमाऊं मंडल में भी बीकेटीसी की संपत्तियां-
- अल्मोड़ा के द्वाराहाट मल्ला में 12 नाली और 12 मुट्ठी जमीन दर्ज है.
- अल्मोड़ा के बांसुरी सेरा में 186 नाली और 14 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- अल्मोड़ा के पनेर गांव राजस्व क्षेत्र में 70 नाली और 14 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- अल्मोड़ा के भंडार गांव में 41 नाली और 5 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- अल्मोड़ा के सकुनी गांव में 6 नाली और 13 मुट्ठी जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- नैनीताल के हल्द्वानी में 12×30 फीट भूमि पर 3 मंजिला भवन बना था. जिसे मंदिर समिति ने अपने कब्जे में लिया है.
- नैनीताल के रामनगर में 668 हेक्टेयर जमीन मंदिर के नाम दर्ज है.
उत्तराखंंड से बाहर भी कई जगहों पर हैं बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियां-
- उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 11,020 वर्ग फीट जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- उत्तर प्रदेश के हसुवा फतेपुर के गयागंज में 04 हेक्टेयर और मौजा केशवपुर में 5 बीघा जमीन मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- महाराष्ट्र के बुलडाना क्षेत्र में 17 एकड़ जमीन बदरी नारायण संस्थान के नाम दर्ज है.
- इस तरह से5 नालीऔर3,69.312 वर्ग मीटर जमीन बदरी केदार मंदिर समिति के नाम पर दर्ज है.
बदरी केदार मंदिर समिति ने कही ये बात: बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों को लेकर जब ईटीवी भारत ने बदरी केदार मंदिर समिति के सीईओ विजय थपलियाल से बात की तो उन्होंने कई बातें बताईं. साथ ही बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों पर खड़े किए जा रहे सवालों का भी जवाब दिया.
बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों पर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. मंदिर समिति अपनी जमीनों को लेकर लगातार सतर्क है. जहां-जहां पर मंदिर समिति की जमीन मौजूद है, उनका पूरा प्रबंध मंदिर समिति की ओर से किया जा रहा है. हालांकि, कुछ जगहों पर जमीनों के विवाद कोर्ट में चल रहे हैं, जिनका जल्द ही निपटारा कर दिया जाएगा.
– विजय थपलियाल, सीईओ, बदरी केदार मंदिर समिति –
बदरीनाथ-केदारनाथ के साथ 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन करती है बीकेटीसी: बता दें कि, उत्तराखंड में मौजूद चार धामों में से दो महत्वपूर्ण धाम बदरीनाथ और केदारनाथ के साथ ही 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन भी बदरी केदार मंदिर समिति (श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति) के अधीन है. वर्तमान में बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष पद खाली है. अभी तक अजेंद्र अजय बीकेटीसी अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है.
वहीं, बदरी केदार मंदिर समिति की संपत्तियों को लेकर कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन के सवालों पर बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता ज्योति प्रसाद गैरोला ने अपनी प्रतिक्रिया दी. जिसमें उन्होंने विधायक काजी निजामुद्दीन पर तंज कसते हुए जवाब दिया है.
मुझे लगता है कि काजी निजामुद्दीन ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को ठीक से पढ़ा नहीं है. बीजेपी की मोदी सरकार ने वक्त बोर्ड की संपत्ति को पसमांदा और गरीब मुसलमान के काम आए, इसलिए संशोधन किया है. निश्चित तौर पर जहां-जहां इस तरह के अतिक्रमण होंगे, उस पर सरकार की नजर है. सरकार उस पर कार्रवाई करेगी.
– ज्योति प्रसाद गैरोला, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष –
वक्फ संशोधन एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में दी गई है चुनौती: बता दें कि बीती 2 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पारित हुआ. उसके बाद 3 अप्रैल को राज्यसभा से भी यह बिल पास हुआ. फिर राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू ने बिल को मंजूरी दी. जिसके बाद यह बिल वक्फ (संशोधन) एक्ट, 2025 बना, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया.
जिस पर आज यानी 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की. आज पीठ ने संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. इस मामले में कोर्ट कल यानी 17 अप्रैल को भी सुनवाई करेगा.