देहरादून: मानसून की बारिश के बीच बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत है. इस मौसम में डायरिया और पीलिया जैसी गंभीर बीमारियां बच्चों को जकड़ रही हैं. देहरादून के दून अस्पताल पहुंचने वाले बीमार बच्चों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे में दून अस्पताल के बाल रोग विभाग के हेड डॉ अशोक ने बारिश के मौसम में होने वाली इन बीमारियों से बचने के उपाय बताए हैं.
बारिश के मौसम में पीलिया और डायरिया बढ़ा: इस मौसम में दूषित पानी और अनहाइजीनिक फूड भी बच्चों की सेहत को बिगाड़ रहा है. आमतौर पर बरसात का मौसम कई गंभीर बीमारियां लेकर आता है. बासी भोजन और दूषित पानी का सेवन बच्चों की सेहत पर भारी पड़ रहा है. इन दिनों दून अस्पताल के बाल रोग विभाग में रोजाना बीस से अधिक बच्चे पीलिया और डायरिया से पीड़ित आ रहे हैं. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी देहरादून में मानसून के दौरान बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है.
ये हैं पीलिया के लक्षण: दून अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्मेंट के एचओडी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि-
इस मौसम में बच्चों को घर से बाहर निकल कर बारिश में भीगना अच्छा लगता है. साथ ही मानसून सीजन में दूषित पानी (Contaminated water) के सप्लाई वाटर में मिक्स होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. इस तरह का दूषित पानी पीने से बच्चों में पीलिया यानी जॉन्डिस के लक्षण आने शुरू हो जाते हैं. उल्टी आना, पेट में दर्द, पेशाब का पीला होना, भूख नहीं लगना आदि जॉन्डिस के सामान्य लक्षण होते हैं. इसके अलावा आंखों में पीलापन भी दिखाई देने लगता है.
–डॉ अशोक, हेड, बाल रोग विभाग, दून अस्पताल-
ये हैं डायरिया के लक्षण: डॉ अशोक के मुताबिक पानी उबालकर और छानकर पीने से इस बीमारी से बचा जा सकता है. विशेष रूप से बच्चों को उबला हुआ पानी ही देना चाहिए. उन्होंने बताया कि अस्पताल में डायरिया से पीड़ित बच्चे भी रोजाना पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि-
पेट में दर्द ऐंठन होना, उल्टी आना, बार-बार पतला पानी जैसा मल आना, डायरिया के लक्षण होते हैं. अधिकतर बच्चों के अभिभावक इन शिकायतों को लेकर दून अस्पताल आ रहे हैं. उन्होंने सलाह दी जाती है कि 6 माह तक के बच्चों को मां का दूध ही पिलाएं. बोतल से दूध नहीं पिलाएं. यदि डब्बे का दूध बच्चों को पिलाना ही है तो फिर हमेशा फ्रैश दूध ही तैयार करें.
–डॉ अशोक, हेड, बाल रोग विभाग, दून अस्पताल-
दूषित भोजन नहीं करने की सलाह: दून अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि बाहर ठेली इत्यादि में मिलने वाले दूषित भोजन और पानी का सेवन करने वाले 16 साल तक के किशोर भी पीलिया की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें से कई मरीजों को एडमिट करने की नौबत भी आ रही है.