July 6, 2025 6:30 pm

AI से टैक्स सिस्टम को पुख्ता करने जा रही पुष्कर धामी सरकार, उत्तराखंड में राजस्व वसूली की बदलेगी तस्वीर

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के पांचवें साल में कर संग्रह की तस्वीर और बदली दिखेगी। कर संग्रह सिस्टम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की एंट्री होने जा रही है। राज्य कर विभाग के 12 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। एआई के इस्तेमाल के बाद एसजीएसटी और वैट दोनों तरह के कर संग्रह को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त आईएस बृजवाल के अनुसार-मुख्यमंत्री के निर्देश पर कर संग्रह के सिस्टम को और प्रभावी बनाया जा रहा है। इसके लिए रूपरेखा तैयार कर ली गई है। कर संग्रह की स्थिति लगातार सुधरती जा रही है। इस क्रम में टेक्नॉलजी का पहले से भी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन बदलते दौर में अब एआई के इस्तेमाल की तैयारी है। विभाग के प्रस्ताव पर शासन की सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। आने वाले दिनों में विभाग एआई का इस्तेमाल करता दिखाई देगा।

तीन माह में ही मिलने लगे हैं सुखद संकेत
एसजीएसटी और वैट कर संग्रह के मामले में वित्तीय वर्ष के शुरुआती तीन माह में ही सुखद संकेत मिले हैं। एसजीएसटी में अभी तक विभाग 2457 करोड़ का टैक्स संग्रह कर चुका है। यह वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए निर्धारित लक्ष्य का 22 फीसदी है। इसी तरह, वैट में शुरुआती तीन माह में 658 करोड़ का कर संग्रह हुआ है, जो निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 26 फीसदी है। दोनों तरह के करों की बात करें, तो निर्धारित लक्ष्यों की तुलना में विभाग ने अभी तक 23 फीसदी कर संग्रह कर लिया है।

इस वित्तीय वर्ष में 13,722 करोड़ का लक्ष्य
राज्य कर विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में 13,722 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से 11,221 करोड़ रुपये एसजीएसटी और 2501 करोड़ रुपये वैट कर के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में 12,703 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

इसमें 10,200 करोड़ रुपये एसजीएसटी और 2503 करोड़ रुपये वैट कर से संबंधित लक्ष्य थे। दोनों तरह के करों में विभाग ने लक्ष्य के विपरीत 93 फीसदी कर संग्रह किया था। वैट कर निर्धारित लक्ष्य से बढ़कर 102 फीसदी वसूल किया गया था।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि राज्य हित में कर वसूली की व्यवस्था को और मजबूत बनाया जा रहा है। मंशा ये ही है कि करों से जो भी राजस्व एकत्रित हो, उसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल जनोपयोगी कार्यों में किया जाए।