देहरादून: उत्तराखंड में स्वास्थ्य शिक्षा को राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आधुनिक, पारदर्शी और रोजगार पर केंद्रित बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम- 2021 (National Commission for Allied and Healthcare Professions Act- 2021) के तहत उत्तराखंड राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद के गठन की प्रक्रिया को गति देने के लिए उच्चस्तरीय बैठक की गई.
बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने कहा उत्तराखंड जैसे पर्वतीय एवं आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य में आधुनिक, प्रशिक्षित और प्रमाणित, एलाइड हेल्थ वर्कफोर्स का विकास करना जरूरी है. परिषद के गठन से न सिर्फ शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि देशभर में प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने में उत्तराखंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. बैठक में परिषद के गठन, उसकी संरचना, भविष्य की आवश्यकताओं और कार्य प्रणालियों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया.
साथ ही निर्णय लिया गया कि परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए ‘तलाश सह–चयन समिति’ बनाई जाएगी, जो निर्धारित योग्यताओं और अनुभवों के आधार पर नामों का चयन करेगी. स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परिषद के सुचारू संचालन के लिए शुरुवाती बजट, कार्यालय संरचना, तकनीकी सहायता और मानव संसाधन की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित की जाए, ताकि परिषद अपने दायित्वों का निर्वहन जल्द से जल्द शुरू कर सके.
राज्य में पैरामेडिकल शिक्षा उत्तराखंड पैरामेडिकल अधिनियम- 2009 और स्टेट मेडिकल फैकल्टी के जरिए संचालित होती है. जहां स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 22 विषयों के पाठ्यक्रम चल रहे हैं. राष्ट्रीय अधिनियम लागू होने के बाद इन सभी पाठ्यक्रमों को और अधिक मानकीकृत, रोजगार पर केंद्रित, और कौशल आधारित बनाया जाएगा. नए अधिनियम में कुल 10 श्रेणियों में 56 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को मान्यता दी गई है. इससे विद्यार्थियों को न सिर्फ व्यापक करियर अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग्यता को उच्च पहचान मिलेगी.
बैठक के दौरान विशेषज्ञों ने बताया अधिनियम के तहत कई नए और महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे. जिसमें पोषण विज्ञान, स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन, क्लिनिकल साइकोलॉजी, डायलिसिस तकनीशियन, एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन शामिल है. इन विषयों के शामिल होने से राज्य के युवाओं को विस्तृत करियर विकल्प, निजी और सरकारी क्षेत्र में बेहतर प्लेसमेंट, तथा शोध और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं में अवसर मिलेंगे. अधिकारियों ने कहा यह कदम उत्तराखंड को स्वास्थ्य शिक्षा और एलाइड हेल्थ सर्विसेज के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करेगा. भविष्य में राज्य एक ‘हेल्थ एजुकेशन हब’ के रूप में स्थापित होगा.
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने कहा राज्य सरकार, स्वास्थ्य शिक्षा को बेहतर, सुगठित और राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाने के लिए काम कर रही है. राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद का गठन हमारे लिए परिवर्तनकारी कदम साबित होगा. इससे पैरामेडिकल और एलाइड हेल्थ शिक्षा में एकरूपता आएगी. पाठ्यक्रमों का मानकीकरण होगा. पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी बनेगी. नए अधिनियम के तहत कई उभरते विषय और विशेषज्ञताएं शामिल होंगी. जिससे युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने का अवसर मिलेगा.
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