देहरादून: उत्तराखंड में रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इस मुद्दे पर प्रदेश में राजनीति भी खूब होती है. वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस मुद्दे पर धामी सरकार को घेरा है. उन्होंने लिखा कि प्रदेश सरकार रिवर्स पलायन की बात कर रही है. मैं सरकार से कह रहा हूं कि उत्तराखंड वासियों को उनकी जमीन दे दो, वो आसमां लेकर क्या करेंगे?
बीते दिन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रिवर्स पलायन पर अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए. सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में पलायन की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है. राज्य सरकार ने चार–पांच सालों में रिवर्स पलायन को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं. वहीं रिवर्स पलायन के बहाने पूर्व सीएम हरीश रावत ने धामी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि सरकार रिवर्स पलायन की बात तो खूब कर रही है, लेकिन मैं सरकार से कह रहा हूं कि उत्तराखंड वासियों को उनकी जमीन दे दो, वो आसमां लेकर क्या करेंगे?
हरीश रावत ने आगे लिखा कि रिवर्स पलायन की बात तो छोड़िए जो पलायन इस समय हो रहा है, उस पर ध्यान देने की जरूरत है. आज भयभीत उत्तराखंड अपना गांव छोड़ रहा है, अपना घर छोड़ रहा है. हरीश रावत ने अपने पोस्ट में जंगली जानवरों के हमले और खेतों को पहुंचा रहे नुकसान का जिक्र भी किया. उन्होंने लिखा कि गुलदार, बाघ, हाथी, भालू, बंदर और लंगूर जो उत्तर प्रदेश से यहां आ रहे हैं, आवारा पशु, आवारा कुत्ते और सुअर, इन सबने गांव वालों का जीना हराम कर दिया है. अब हालात यह हैं कि गांव तो गांव, छोटे-छोटे कस्बों और बड़े शहरों के दूर-दराज के मोहल्लों में भी इनका आतंक व्याप्त है. आप पहले इससे निजात दिला दीजिए, इसे नियंत्रित कर दीजिए, फिर रिवर्स पलायन की बात कीजिए, क्योंकि रिवर्स पलायन तभी होगा, जब वहां संभावनाएं होंगी. वहां की संभावनाओं को नष्ट करके आप रिवर्स पलायन का सपना कैसे देख रहे हैं?
जानिए क्या है रिवर्स पलायन: मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लंबे समय से लोग अपने गांव को छोड़कर पलायन करते रहे हैं. जिससे प्रदेश के कई गांव भूतहा हो चुके हैं, जहां आज कुछ बुजुर्गों को छोड़कर कोई नहीं रहता है. लोग शादी, विवाह या पूजा के वक्त ही गांव आते हैं. ऐसे में सरकार पलायन से खाली हो चुके गांवों को बसाने में जुटी हुई है और लोगों को रिवर्स पलायन के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सरकार द्वारा लोगों को गांव में बसाने के लिए अनेक रोजगार और स्वरोजगार योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिससे लोग अपने गांवों को जुड़े रहें और उन्हें बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पलायन ना करना पड़े.
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