May 9, 2025 12:09 am

केदारनाथ में रहस्यमयी बीमारी से टेंशन! 14 घोड़ों की जा चुकी जान, पता लगाने में जुटे साइंटिस्ट्स

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम के कपाट खुले चुके है. चारधाम यात्रा भी जोर शोर से चल रही है, लेकिन इन सबके बीच केदारनाथ धाम 13 घोड़ों की मौत ने सबकी परेशानी बढ़ा दी है. फिलहाल तो शासन-प्रशासन ने सावधानी बरते हुए चारधाम यात्रा मार्ग पर घोड़े खच्चरों के संचालन पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही घोड़े खच्चरों पर इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस का खतरा भी मंडरा रहा है.

अभी तक जो जानकारी निकल कर सामने आई है, उसके अनुसार आठ घोड़ों की मौत डायरिया की वजह से और पांच घोड़ों की मौत कोलिक (बता दें कि कोलिक घोड़ों के पेट में होने वाली एक बीमारी है, जिस कारण अक्सर घोड़ों की मौत भी हो जाती है) की वजह से हुई है. ऐसे में असल मौत के कारणों का पता लगाए जाने को लेकर टेस्ट कराया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट अगले 4 से 5 दिन में आ जाएगी. इसीलिए केदारनाथ में अगले कुछ दिन और घोड़े खच्चरों का संचालन बंद रह सकता है. घोड़ों की लगातार हो रही मौतों को लेकर बुधवार सात मई को पशुपालन सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने प्रेस वार्ता की और पूरी जानकारी दी.

कोरोना जैसी है इक्वाइन इन्फ्लुएंजा बीमार

पशुपालन सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि जिस तरह से इंसानों में कोरोना संक्रमण फैला था, उसी तरह घोड़ों में इक्वाइन इन्फ्लुएंजा बीमारी होती है. इक्वाइन इन्फ्लुएंजा से ग्रसित घोड़ों की नाक बहती है, तेज बुखार होने के साथ ही कफ भी बनता है. राहत की बात ये है कि घोड़े में फैलने वाली इस बीमारी से इंसानों में फैलने का खतरा नहीं है, लेकिन एक घोड़े से दूसरे घोड़े में वायरस बड़ी आसानी से फैल सकता है. हालांकि इस बीमारी से घोड़े के मौत की आशंका बहुत कम है.

26 मार्च को पॉजिटिव मिले थे घोड़े

पशुपालन सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम के अनुसार 26 मार्च 2025 को घोड़े के सैंपलिंग के दौरान रुद्रप्रयाग जिले के दो गांव में घोड़े पॉजिटिव पाए गए थे. इसके बाद 28 मार्च को इस संबंध में सचिव ने बैठक की थी और फिर एक अप्रैल को पशुपालन मंत्री ने इस संबंध में बैठक ली थी. बैठक में निर्णय लिया गया था कि जिस घोड़े की इक्वाइन इन्फ्लुएंजा रिपोर्ट नेगेटिव आएगी, उसी घोड़े को चारधाम यात्रा में संचालन की अनुमति दी जाएगी.

16 हजार घोड़ों की सैंपलिंग की गई

पशुपालन सचिव ने बताया कि 4 अप्रैल से लेकर 28 अप्रैल करीब 16 हजार घोड़ों की सैंपलिंग की गई थी, जिसकी जांच श्रीनगर और हिसार लैब में कराई गई थी. 16 हजार में से 152 सैंपल पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन जब सैंपलों का आरटी-पीसीआर जांच कराया गया तो एक भी सैंपल पॉजिटिव नहीं आया. ऐसे में जो घोड़े इक्विन इन्फ्लूएंजा नेगेटिव मिले है, उन्हें ही चारधाम यात्रा में भेजा गया.

यूपी के घोड़ा-खच्चरों पर रोक

हर साल चारधाम यात्रा में करीब तीन हजार घोड़े यूपी से आते हैं, लेकिन इस साल उत्तर प्रदेश से आने वाले घोड़े- खच्चरों पर रोक लगा दी गई. चारधाम यात्रा में उन घोड़ों को ही भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, फिर भी दो दिनों में ही 13 घोड़े की मौत हो गई. आठ घोड़े की मौत डायरिया की वजह से और पांच घोड़े की मौत कोलिक की वजह से हुई है. ऐसे में इन घोड़ों के मौतों का असल वजह जाने के लिए सैंपल बरेली लैब में भेजे गए है. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद इन 13 घोड़ों के मौत की असल स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

22 वेटरनरी डॉक्टर्स की टीम तैनात

पशुपालन सचिव ने बताया कि नेशनल रिसर्च सेन्टर ऑन इक्विन्स हिसार (ICAR-National Research Centre on Equines) से वायरोलॉजी को बुलाया गया है, जिनका कहना है कि अगर कोई घोड़ा इक्वाइन इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होता है, तो उसमें कौन सा अन्य डिजीज आ सकता है, ये नहीं कहा जा सकता है. 13 घोड़े के मौत के बाद 22 वेटरनरी डॉक्टर्स की टीम तैनात कर दिया गया है. इसके साथ ही नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विंस हिसार के दो वैज्ञानिक भी वहां पर मौजूद है.

इन घाड़ों को यात्रा मार्ग के हटाया जाएगा

इसके अलावा पंतनगर से तीन डॉक्टर्स को तैनात करने जा रहे है, जो 7 मई की शाम तक चार धाम में पहुंच जाएंगे. ऐसे में ये 27 डॉक्टर्स यात्रा मार्गों पर युद्ध स्तर पर काम करेंगे. ऐसे में अब पशुपालन विभाग में निर्णय लिया है कि जिस भी घोड़े में इक्विन इन्फ्लूएंजा के लक्षण दिखाई देंगे, उनको चारधाम यात्रा रूट पर संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही जिस घोड़े में इन्फ्लूएंजा का कोई भी लक्षण नहीं है उस घोड़े की पहले जांच कराई जाएगी, उसके बाद ही उसे यात्रा रूट पर संचालन की अनुमति दी जाएगी.

चारधाम यात्रा रूट पर संचालन के लिए स्वस्थ घोड़ों की जांच की जा रही है. कल यानी 6 मई को 26 घोड़े की जांच की गई है. ऐसे में स्वस्थ घोड़ों की जांच जल्द से जल्द हो इसके लिए सैंपलिंग प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी. हर साल चारधाम यात्रा के लिए करीब 8000 घोड़ों का रजिस्ट्रेशन होता है, लेकिन इस साल 5000 घोड़े के रजिस्ट्रेशन की ही अनुमति दी गई है.

क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया

क्योंकि अगर फ्रेश घोड़े को यात्रा संचालक मार्ग पर संचालित किया जाता है तो उसके इफेक्ट होने का खतरा काफी अधिक है. चारधाम यात्रा रूटों पर इन्फेक्टेड घोड़े के लिए 500 कैपेसिटी का क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया हैं. ऐसे में अगर इक्वाइन इन्फ्लूएंजा से संक्रमित कोई घोड़ा केदारनाथ पैदल मार्ग पर जाता भी है तो उसको क्वॉरेंटाइन सेंटर में क्वारंटाइन कर दिया जाएगा.

घोड़े खच्चरों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था के साथ ही साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. ऐसे में चारधाम यात्रा मार्गों पर घोड़े का संचालन कब से शुरू होगा ये हेल्दी घोड़ों की संख्या पर निर्भर करेगी. कुल मिलाकर स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार ही निर्णय लिया जाएगा. फिलहाल चारधाम में घोड़े और खच्चरों का संचालन बंद है.